होती है शाम जब,
यूँ ही उदास हो जाता है मेरा मन...
जाने क्यों रह - रह कर,
मुझको सताता है मेरा मन...
वो कौन है जिसके ख्यालों में,
डूबा रहता है मेरा मन...
हर जगह, हर पल,
उसे ही खोजा करता है मेरा मन...
जाने कब आएगी वो घड़ी
जब होगा उसका और,
मेरा मिलन...
मुझे तड़पाने वाली,
रातों में जगाने वाली
जिया...!
कहीं न कहीं तो होगी,
क्योंकि...
जैसा है मेरा मन,
शायद! वैसा ही हो उसका मन...
केशव "जिया"
यूँ ही उदास हो जाता है मेरा मन...
जाने क्यों रह - रह कर,
मुझको सताता है मेरा मन...
वो कौन है जिसके ख्यालों में,
डूबा रहता है मेरा मन...
हर जगह, हर पल,
उसे ही खोजा करता है मेरा मन...
जाने कब आएगी वो घड़ी
जब होगा उसका और,
मेरा मिलन...
मुझे तड़पाने वाली,
रातों में जगाने वाली
जिया...!
कहीं न कहीं तो होगी,
क्योंकि...
जैसा है मेरा मन,
शायद! वैसा ही हो उसका मन...
केशव "जिया"
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